Goa के शिरगांव में आयोजित श्री Lairai Jatra के दौरान शुक्रवार रात एक दर्दनाक हादसा घटित हुआ, जिसमें भगदड़ मचने से 7 लोगों की जान चली गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा तब हुआ जब श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पारंपरिक ‘जात्रा’ में भाग लेने के लिए एकत्रित हुई थी। अफरा-तफरी मचने के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके चलते कई लोग घायल हो गए। घायलों को Goa मेडिकल कॉलेज (GMC) और मापुसा स्थित नॉर्थ गोवा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में तुरंत भर्ती कराया गया।
घायलों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि अन्य की स्थिति खतरे से बाहर है। घटना के बाद, मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अस्पतालों का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने अधिकारियों को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही, मुख्यमंत्री ने स्थिति का जायजा लिया और घायलों के उपचार के लिए अधिकारियों से समन्वय स्थापित किया।
घटना की जानकारी और स्थिति का जायजा
शुक्रवार रात की यह घटना शिरगांव में श्री Lairai Jatra के दौरान हुई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए जुटे थे। जैसे ही श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके कारण यह हादसा हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने घटना की गंभीरता को देखते हुए नॉर्थ Goa डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और बिचोलिम अस्पताल का दौरा किया और घायलों का हाल-चाल लिया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता दी जाए और उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराई जाए। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने भी राहत कार्य में मदद की और अस्पतालों में चिकित्सा टीमों को तैनात किया।
क्या है Lairai Jatra?
लैराई देवी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जो विशेष रूप से Goa के शिरोडा गांव और आसपास के क्षेत्रों में पूजी जाती हैं। लैराई देवी का मंदिर स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। लैराई देवी की पूजा को लेकर गोवा में हर साल शिरगांव में एक भव्य धार्मिक उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘शिरगांव जात्रा’ या ‘लैराई जात्रा’ के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है और यह कई दिनों तक चलता है।
लैराई ‘जात्रा’ का महत्व
शिरगांव ‘जात्रा’ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह Goa की सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। इस दौरान, श्रद्धालु एक भव्य शोभायात्रा में भाग लेते हैं जिसमें देवी की पूजा, मंत्रोच्चारण, ढोल-नगाड़े बजाना और प्रसाद चढ़ाने जैसी परंपराएं होती हैं। यह आयोजन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का प्रतीक होता है और इसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
अग्नि पर चलने की परंपरा
Lairai Jatra की एक प्रमुख विशेषता है अग्नि पर चलने की परंपरा, जिसे ‘धोंड’ कहा जाता है। इसमें श्रद्धालु जलते हुए अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं। यह अनुष्ठान श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक शुद्धता और समर्पण को दर्शाता है। इसके लिए श्रद्धालु कई दिनों तक उपवास रखते हैं और मानसिक रूप से तैयार होते हैं। यह परंपरा गोवा के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
भगदड़ के बाद उठी चिंताएँ
Lairai Jatra के दौरान भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होने से यह घटना एक बड़ा हादसा बन गई। Goa में इस तरह के धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय प्रशासन और आयोजकों से यह अपेक्षित किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किए जाएं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को नई व्यवस्था करनी होगी ताकि ऐसी दुर्घटनाएँ फिर से न हों।
Goa सरकार की प्रतिक्रिया
घटना के बाद, गोवा सरकार ने त्वरित कार्रवाई की और राहत कार्यों को प्राथमिकता दी। मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने हादसे के शिकार हुए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और अधिकारियों को राहत कार्यों में त्वरित समन्वय बनाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, सरकार ने घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की है।
अंतिम शब्द
शिरगांव में श्री Lairai Jatra के दौरान हुआ यह दर्दनाक हादसा Goa के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा। यह घटना न केवल धार्मिक परंपराओं और उत्सवों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा के प्रबंधों का महत्व कितना अधिक है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस समय, हम सभी घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।