नई दिल्ली: एक हालिया अध्ययन से यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि बच्चों में Vitamin D की कमी भविष्य में दिल की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। यह शोध यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है और इसके निष्कर्ष दुनियाभर के माता-पिता के लिए चेतावनी स्वरूप हैं।
आज के समय में जब बच्चे अधिकतर समय घर के अंदर स्क्रीन के सामने बिताते हैं, सूरज की रोशनी से संपर्क कम होता जा रहा है। ऐसे में Vitamin D की कमी एक आम समस्या बनती जा रही है। यह पोषक तत्व मांसपेशियों के कार्य, प्रतिरक्षा प्रणाली, हड्डियों की मजबूती और अब – इस नए शोध के अनुसार – हृदय स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है।
Vitamin D की कमी बच्चों को कैसे प्रभावित करती है?
विटामिन D का सबसे अच्छा स्रोत प्राकृतिक सूर्य की रोशनी है। हालांकि, शहरी जीवनशैली और अत्यधिक इनडोर गतिविधियों के कारण बच्चों को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती है। इसके अलावा, आहार के माध्यम से मिलने वाली Vitamin D की मात्रा भी अक्सर पर्याप्त नहीं होती।
यही कारण है कि यूके जैसे देशों में, लगभग 20% बच्चों में विटामिन D की कमी पाई जाती है। भारत जैसे देशों में जहां पर्याप्त धूप उपलब्ध है, वहां भी यह समस्या शहरी बच्चों में तेजी से बढ़ रही है।
क्या कहता है अध्ययन?
बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है विटामिन D?
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हड्डियों की मजबूती: Vitamin D कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।
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प्रतिरक्षा प्रणाली: संक्रमण से लड़ने में यह पोषक तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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मांसपेशियों की शक्ति: मांसपेशियों के कार्य के लिए विटामिन D आवश्यक है।
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हृदय स्वास्थ्य: नया शोध दर्शाता है कि विटामिन D का स्तर कम होने पर दिल की बीमारियाँ होने की आशंका अधिक हो जाती है।
कम Vitamin D के लक्षण
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बार-बार बीमार पड़ना
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थकान और कमजोरी
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हड्डियों में दर्द
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बालों का झड़ना
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मांसपेशियों में ऐंठन
कैसे पूरी करें विटामिन D की आवश्यकता?
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सूरज की रोशनी: बच्चों को रोजाना सुबह की धूप में 15–20 मिनट जरूर बाहर निकालें।
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आहार: अंडे की ज़र्दी, मशरूम, दूध, दही, मछली (विशेषकर सैल्मन, ट्यूना) आदि Vitamin D के अच्छे स्रोत हैं।
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सप्लीमेंट: अगर डॉक्टर की सलाह हो, तो विटामिन D सप्लीमेंट्स भी दिए जा सकते हैं, खासकर सर्दी के मौसम में।
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फोर्टिफाइड फूड्स: बाजार में उपलब्ध विटामिन D युक्त दूध, दही और अनाज भी शामिल करें।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि एक से चार वर्ष की उम्र के बच्चों को साल भर Vitamin D सप्लीमेंट दिए जाने चाहिए। वहीं, बड़े बच्चों और वयस्कों को सर्दियों में सप्लीमेंट लेना चाहिए जब सूर्य का संपर्क सीमित होता है।
डॉक्टरों के अनुसार, यदि बचपन में ही विटामिन D की कमी को नियंत्रित कर लिया जाए, तो आने वाले समय में बच्चों को न केवल हड्डियों की समस्याओं से बल्कि दिल की गंभीर बीमारियों से भी बचाया जा सकता है।
निष्कर्ष
यह शोध एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि बच्चों में पोषण की अनदेखी दूरगामी परिणाम दे सकती है। Vitamin D केवल हड्डियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक अनिवार्य पोषक तत्व है। माता-पिता को अब सतर्क हो जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चों को पर्याप्त धूप, संतुलित आहार और सही मार्गदर्शन मिले।
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