3 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के Pahalgam क्षेत्र में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसे अब तक का सबसे भयानक Pahalgam attack माना जा रहा है। इस हमले में कई निर्दोष श्रद्धालु मारे गए और दर्जनों घायल हुए। इस दुखद घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई। Pahalgam attack Farooq Abdula की प्रतिक्रिया ने खास तौर पर सुर्खियां बटोरीं।
क्या हुआ पहलगाम में?
2 मई 2025 को अमरनाथ यात्रा की तैयारियों के बीच हुए इस Pahalgam attack ने एक बार फिर घाटी में आतंकी गतिविधियों की गंभीरता को उजागर किया है। आतंकियों ने अचानक बसों के काफिले को निशाना बनाया, जिसमें तीर्थयात्री सवार थे। यह पहलगाम हमला सुरक्षा एजेंसियों की चिंता को और बढ़ा गया है।
Farooq Abdula का बयान क्यों हो गया चर्चा का विषय?
हमले के बाद फारूक अब्दुल्ला मीडिया से बातचीत करते हुए बोले, “हम पाकिस्तानियों को नहीं मारेंगे। लड़ाई आतंकवाद से है, पाकिस्तान से नहीं।” उनका यह बयान वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर उन्हें खूब ट्रोल किया गया। लेकिन कुछ लोगों ने उनकी इस बात को राजनीतिक परिपक्वता और शांति के पक्ष में भी बताया। इस तरह Pahalgam attack Farooq Abdula का एक अहम राजनीतिक मुद्दा बन गया।
सिंधु जल समझौते पर भी दी सलाह
Farooq Abdula ने इस Pahalgam attack के बहाने सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने कहा, “जब पाकिस्तान भारत को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ता, तो हम उसे पानी क्यों दें?” इस बयान ने एक बार फिर भारत-पाक संबंधों में जल कूटनीति को केंद्र में ला दिया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज़
Pahalgam attack Farooq Abdula पर बीजेपी और अन्य दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि फारूक अब्दुल्ला पाकिस्तान के प्रति नरमी दिखाकर देश की जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं। वहीं विपक्ष ने इसे शांति की ओर एक जिम्मेदार कदम बताया है।
Pahalgam attack Farooq Abdula: एक राजनैतिक रणनीति या सहानुभूति?
विश्लेषकों के अनुसार, फारूक अब्दुल्ला का यह रुख किसी तरह की नई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कश्मीर की राजनीति में अक्सर ऐसे बयान गंभीर असर डालते हैं। उनका यह बयान पहलगाम हमला से ध्यान हटाकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की ओर इशारा करता है।
क्या कहती है जनता?
Pahalgam attack Farooq Abdula को लेकर जनता की राय बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि इस तरह के हमलों पर सख्त रुख अपनाना चाहिए, वहीं कुछ का मानना है कि शांति की पहल जरूरी है। खासकर कश्मीर के लोग ऐसे बयानों को राजनीतिक संतुलन के तौर पर देख रहे हैं।
मीडिया की भूमिका
मीडिया ने Pahalgam attack और Farooq Abdula की टिप्पणी को प्रमुखता से कवर किया है। टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इस विषय पर कई बहसें हो चुकी हैं। ज़्यादातर चैनल इसे 2025 के चुनावी माहौल से जोड़कर देख रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस पहलगाम हमला को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं,फारूक अब्दुल्ला के बयान पर सीधा जवाब नहीं देते हुए सरकार ने आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति दोहराई है।
निष्कर्ष
Pahalgam attack Farooq Abdula का मामला केवल एक बयान नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों, कश्मीर की राजनीति, और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ रणनीति की दिशा में बड़ा संकेत है। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल आतंकवाद की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि देश की राजनीति में एक बयान किस तरह व्यापक असर डाल सकता है।
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