बीजेपी की मुख्यमंत्री चयन रणनीति: जातीय संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व की दिशा में एक मजबूत कदम!
27 साल के संघर्ष और इंतजार के बाद दिल्ली में बीजेपी ने सत्ता पर काबिज़ी हासिल की है, और पार्टी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी है। रेखा गुप्ता, जो वैश्य समुदाय से आती हैं, भारतीय व्यापारी वर्ग का अहम हिस्सा हैं। बनिया समुदाय लंबे समय से बीजेपी का मजबूत और विश्वसनीय वोट बैंक रहा है। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाए जाने को इस राजनीतिक गठजोड़ को और सुदृढ़ करने के रूप में देखा जा रहा है। आइए, अब नजर डालते हैं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की जातीय पृष्ठभूमि पर
असम – असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा असमिया ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, विशेष रूप से सरमा जाति से। 10 मई 2021 को हिमंता बिस्वा सरमा ने असम के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले, सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने राज्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अरुणाचल प्रदेश – अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू मोनपा जनजाति से हैं, जो अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में निवास करती है। मोनपा जनजाति अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें त्योहार, पारंपरिक नृत्य, और विशिष्ट अनुष्ठान शामिल हैं। पेमा खांडू ने 2016 में नबाम तुकी के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कंवर समुदाय से आते हैं, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल है। कंवर समुदाय मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से, विशेष रूप से सरगुजा संभाग में बसा हुआ है, जहां इनकी संख्या अधिक है।
गोवा – गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सामंत मराठा जाति से हैं, जो राज्य में एक प्रमुख समुदाय माने जाते हैं। वह मराठा राजनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में पहचान रखते हैं।
गुजरात – गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कडवा पाटीदार समुदाय से आते हैं। पाटीदार समुदाय गुजरात में एक प्रमुख जाति है, जो राज्य की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक गतिविधियों में अहम भूमिका निभाता है।
हरियाणा – हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सैनी समुदाय से आते हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल है। उनका परिवार मूल रूप से कुरुक्षेत्र के मंगोली जट्टन गांव से है, लेकिन कई साल पहले वे अंबाला जिले के मिर्जापुर गांव में बस गए थे।
मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव यादव समुदाय से हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आते हैं। मोहन यादव के परिवार की राजनीति और समाज सेवा में गहरी जड़ें हैं। उनके पिता, पूनमचंद यादव, अपने समुदाय के प्रमुख नेता रहे थे, और उन्होंने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महाराष्ट्र – महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखते हैं। फडणवीस के परिवार की राजनीति में मजबूत पृष्ठभूमि है। उनके पिता, गंगाधरराव फडणवीस, एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे और नागपुर से महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे थे, जिनका राजनीतिक प्रभाव बहुत बड़ा था।
ओडिशा – ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल है। 6 जनवरी 1972 को ओडिशा के क्योंझर जिले के रायकला में जन्मे माझी का राजनीति में उभरना संथाल समुदाय के लिए ऐतिहासिक घटना है। 1997 में उन्होंने भारतीय पार्टी की आदिवासी शाखा के सचिव के रूप में कार्य किया था।
राजस्थान – राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जो राज्य में एक प्रमुख समुदाय है। भजनलाल शर्मा का परिवार एक साधारण पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, किशन स्वरूप शर्मा, किसान थे, और उनकी मां, गोमती देवी, एक गृहिणी हैं।
त्रिपुरा – त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा वैश्य समुदाय से आते हैं, जो सामान्य वर्ग (General Category) में शामिल है। माणिक साहा राज्य की राजनीति में एक प्रमुख नाम बन चुके हैं, और उनकी स्थिति प्रदेश में सशक्त है।
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्षत्रिय (ठाकुर) समुदाय से आते हैं। 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर में जन्मे अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) का भारतीय राजनीति में प्रभाव उनकी मजबूत हिंदुत्व विचारधारा और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रभावशाली नेतृत्व के कारण बढ़ा है।
उत्तराखंड – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊंनी राजपूत (ठाकुर) जाति से आते हैं। धामी का परिवार एक साधारण पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, शेर सिंह धामी, एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी थे, जिन्होंने सूबेदार के पद पर सेवा दी, और उनकी मां, विष्णु देवी, एक गृहिणी थीं। धामी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पिथौरागढ़ से प्राप्त की और बाद में खटीमा के नागला तराई भाबर में बस गए। उन्होंने लखनऊ
जातीय समीकरण का प्रभाव:
बीजेपी द्वारा विभिन्न जातीय समूहों को मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में जातीय संतुलन को प्राथमिकता दी है। खासतौर पर ओबीसी, एसटी और ब्राह्मण समुदायों को प्रतिनिधित्व देकर, पार्टी ने विभिन्न सामाजिक वर्गों को साथ लाने और उनकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक समावेशी राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है। यह कदम पार्टी की कोशिश को दर्शाता है कि वह अपने आधार को मजबूत करने के साथ-साथ सामाजिक समानता और समरसता को भी बढ़ावा देना चाहती है।