यह मामला बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाला है। शहजादी खान को अबू धाबी में फांसी दिए जाने की खबर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर आप इस पर कोई खास जानकारी चाहते हैं—जैसे कानूनी पहलू, परिवार की अपील, या इस केस की पूरी कहानी—तो मुझे बताएं।
अबू धाबी में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में भारतीय महिला शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दी गई। सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मृतका के पिता द्वारा दायर याचिका पर यह जानकारी सामने आई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने इस घटना को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को सूचित किया कि शहजादी को 15 फरवरी को फांसी दी गई थी, और उसका अंतिम संस्कार 5 मार्च को किया जाएगा।
शहजादी खान को अबू धाबी की berüchtigte जेल ‘अल-वाथबा’ में कैद किया गया था। ‘अल-वाथबा’ का अरबी में अर्थ है—’छलांग,’ लेकिन शहजादी के लिए यह छलांग एक गहरी खाई बन गई। इस जेल में उसे गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया।
प्यार में धोखा खाया, झूठे वादों में बहकाकर अबू धाबी ले जाई गई, इलाज के नाम पर धोखे का शिकार हुई, फिर फरेब के हाथों बेची गई। नौकरानी बनने की मजबूरी से लेकर क़ातिल बनने तक, उसकी जिंदगी एक दर्दनाक साज़िश का शिकार बन गई। और अब, वह कभी वापस नहीं लौटेगी…
प्लास्टिक सर्जरी कराना चाहती थी शहजादी, लेकिन किस्मत ने लिखी दर्दनाक दास्तां
यह कहानी यूपी के बांदा जिले की शहजादी खान की है, जिसे 19 दिसंबर 2021 को अबू धाबी भेजा गया था—या यूं कहें, अपने ही प्रेमी उजैर के हाथों बेच दिया गया था।
शहजादी की तक़दीर ने पहली बार तब करवट ली, जब वह महज आठ साल की थी। किचन में खौलता हुआ पानी चूल्हे से उसके चेहरे पर गिर गया, जिससे उसका चेहरा और शरीर का कुछ हिस्सा जल गया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। तमाम मुश्किलों के बावजूद उसने पढ़ाई पूरी की, कॉलेज से स्नातक किया और गरीबों तथा बेसहारा लोगों की मदद के लिए ‘रोटी बैंक’ नामक एक एनजीओ से जुड़ गई।
शहजादी का सपना था कि वह इतनी मेहनत करे कि अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करा सके। लेकिन उसकी यह ख्वाहिश अधूरी रह गई, क्योंकि जिसे उसने अपना हमसफर समझा, वही उसे धोखे और फरेब की काली दुनिया में धकेलने वाला निकला…
सोशल मीडिया पर मिला प्यार, जो बना धोखे की शुरुआत
शहजादी अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटी थी। तभी 2020 का मनहूस साल आया—कोरोना महामारी का साल, जिसने सभी को घरों में कैद कर दिया। इसी बंद दुनिया में सोशल मीडिया ने उसे आगरा के उजैर से मिलवाया।
उजैर ने शहजादी को उसकी झुलसी हुई त्वचा के बावजूद अपनाने का झूठा वादा किया। उसने भरोसा दिलाया कि वह उसे उसी रूप में स्वीकार करेगा और प्लास्टिक सर्जरी कराने में मदद करेगा। फिर 2021 आया—उजैर ने प्यार और इलाज के बहाने उसे अबू धाबी जाने के लिए मना लिया।
90 हजार रुपये और कुछ ज़ेवर लेकर शहजादी अबू धाबी पहुंची, लेकिन वहां पहुंचते ही उजैर ने उसे अपने फूफा और फूफी के घर भेज दिया। उसकी फूफी नाजिया, जो अबू धाबी की अल नाहयान यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी, वहीं उसे ठहराया गया।
यहीं से शहजादी को पहली बार अहसास हुआ कि जिसे वह अपना हमसफर समझ रही थी, वही उसका सबसे बड़ा धोखेबाज निकला। उजैर का प्यार सिर्फ एक साजिश थी, और शहजादी एक ऐसे जाल में फंस चुकी थी, जहां से निकलना नामुमकिन था
धोखे, जबरन मजदूरी और साजिश का शिकार बनी शहजादी – एक दर्दनाक अंत
बंधक बनाकर कराया घर का सारा काम
नाजिया ने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया था और उसे घर के कामों के लिए एक नौकरानी की जरूरत थी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए उजैर ने शहजादी को धोखे से अपने जाल में फंसाया। उसने प्यार और इलाज का झांसा देकर उसे करीब डेढ़ लाख रुपये में अपनी फूफी नाजिया को बेच दिया।
शहजादी पढ़ी-लिखी थी। कुछ ही दिनों में उसे अहसास हो गया कि वह एक साजिश का शिकार हो चुकी है। उसने खुद की नौकरी करने की इच्छा जताई ताकि अपने चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करा सके, लेकिन नाजिया इतनी सस्ती घरेलू नौकरानी को जाने देने के लिए तैयार नहीं थी।
टीका लगने के बाद हुई बच्चे की मौत
6 दिसंबर 2022 को नाजिया के चार महीने के बच्चे को टीका लगाया गया। लेकिन टीका लगने के कुछ घंटे बाद ही बच्चे की मौत हो गई। नाजिया और उसके पति ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया, लेकिन जब अस्पताल प्रशासन ने पोस्टमार्टम कराने की बात कही, तो दोनों ने इसे ठुकरा दिया और बच्चे की लाश को चुपचाप दफना दिया।
शहजादी को न्यूड कर बनाया वीडियो, जबरन कबूल करवाया जुर्म
बच्चे की मौत के कुछ समय बाद शहजादी वापस भारत लौटने की जिद करने लगी, लेकिन उसका पासपोर्ट नाजिया और उसके पति के पास था। फिर 10 फरवरी 2023 को, नाजिया और उसके पति ने शहजादी को बुरी तरह पीटा, उसके कपड़े उतारकर उसका न्यूड वीडियो रिकॉर्ड किया और धमकी दी कि अगर वह बच्चे की हत्या कबूल नहीं करेगी, तो यह वीडियो यूपी में उसके जानने वालों को भेजकर उसे बदनाम कर दिया जाएगा।
अत्यधिक टॉर्चर के बाद शहजादी ने मजबूरी में बच्चे की हत्या कबूल कर ली, और यही कबूलनामा उसकी मौत की सजा का कारण बन गया।
कैसे मिली शहजादी को मौत की सजा?
शहजादी के झूठे कबूलनामे के बाद, नाजिया और उसके पति ने उसे गाड़ी में बिठाया और एयरपोर्ट ले जाने का बहाना किया। लेकिन रास्ते में वे उसे पुलिस स्टेशन ले गए और वहां पुलिस को वही वीडियो दिखाया, जिसमें शहजादी बच्चे की हत्या कबूल रही थी।
इसके बाद अबू धाबी की अदालत में मुकदमा चला, जहां उसे पहले निचली अदालत और फिर सबसे बड़ी अदालत ने भी दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुना दी।
शहजादी को अबू धाबी की अल-वाथबा जेल में कैद कर दिया गया। एक दिन उसने जेल से अपने घर वालों को फोन कर सच्चाई बताई। तब पहली बार पता चला कि 20 सितंबर 2024 के बाद कभी भी उसकी फांसी हो सकती है।
UAE की अदालत की लापरवाही
इस केस में यूएई की अदालतों ने कई अहम पहलुओं को नजरअंदाज किया:
- अगर नाजिया और उसके पति को बच्चे की हत्या का शक था, तो उन्होंने अस्पताल के कहने पर भी पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया?
- बच्चे की मौत के 54 दिन बाद अचानक उन्हें कैसे पता चला कि शहजादी ही दोषी थी?
- बच्चे की लाश अबू धाबी में दफ्न थी, तो अदालत चाहती तो उसे निकालकर पोस्टमार्टम करवाकर सच्चाई का पता लगा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
- शहजादी गरीब थी और उसे वहां एक अच्छा वकील भी नहीं मिल सका, जो उसकी सही से पैरवी कर सके।
इन सभी लापरवाहियों और साजिशों के चलते शहजादी की जिंदगी छिन गई। प्यार के धोखे, जबरन मजदूरी, शोषण और झूठे इल्जामों ने उसे ऐसी मौत दी, जिसकी वह हकदार नहीं थी।