नई दिल्ली: देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। Supreme Court Vodafone Idea मामले में कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया गया है जिसमें उसने एजीआर (Adjusted Gross Revenue) बकाया पर ब्याज, पेनल्टी और पेनल्टी पर ब्याज से छूट की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को ठुकराते हुए यह साफ कर दिया कि टेलीकॉम कंपनियों को किसी प्रकार की अतिरिक्त राहत नहीं दी जाएगी।
Table of Contents
ToggleAGR विवाद: क्या है मामला?
AGR यानी Adjusted Gross Revenue, वह राशि होती है जिस पर टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को शुल्क देना होता है। इसमें लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शामिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया था कि AGR की गणना में सभी प्रकार की आय को शामिल किया जाएगा, जिसमें गैर-टेलीकॉम इनकम भी शामिल है।
Vodafone Idea, Airtel और Tata Teleservices ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की थी कि उन पर जो ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज लगाया गया है, उसे माफ किया जाए। लेकिन कोर्ट ने इन तीनों कंपनियों की याचिका खारिज कर दी।
Supreme Court का फैसला Vodafone Idea के लिए क्यों है अहम?
इस फैसले का सबसे ज्यादा असर Vodafone Idea पर पड़ा है। कंपनी पहले ही भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कंपनी ने कोर्ट में कहा था कि यदि उसे राहत नहीं दी गई, तो वह मार्च 2026 के बाद संचालन जारी नहीं रख पाएगी।
Supreme Court Vodafone Idea मामले में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत उन भुगतानों को लेकर कोई छूट नहीं दे सकती जिनका भुगतान करने की बाध्यता पहले ही तय हो चुकी है।
Vodafone Idea की याचिका में क्या था दावा?
Vodafone Idea ने याचिका में कहा था कि:
-
कंपनी के ऊपर 83,400 करोड़ रुपये का AGR बकाया है।
-
इस पर लगने वाला ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज मिलाकर कुल रकम 45,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
-
केंद्र सरकार ने 2021 में टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए चार साल का मोराटोरियम दिया था, जो अब सितंबर 2025 में खत्म हो जाएगा।
-
अगर सरकार या सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो कंपनी के पास मार्च 2026 में देय 18,000 करोड़ रुपये की किस्त चुकाने के लिए पर्याप्त फंड नहीं होंगे।
शेयर बाजार में भी दिखा असर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद Vodafone Idea के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। सोमवार को कंपनी के शेयर 8.41% की गिरावट के साथ 6.75 रुपये पर बंद हुए। निवेशकों को डर है कि इस फैसले के बाद कंपनी की वित्तीय स्थिति और बिगड़ सकती है।
सरकार की हिस्सेदारी और स्पेक्ट्रम बकाया
केंद्र सरकार ने पहले ही Vodafone Idea को राहत देते हुए उसके कुछ बकाए को इक्विटी में बदल दिया था। इसके बाद सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 49% हो गई है। इसके बावजूद कंपनी पर:
-
1.19 लाख करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया है।
-
83,400 करोड़ रुपये का AGR बकाया है।
इस प्रकार कुल सरकारी बकाया 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
Airtel और Tata Teleservices को क्यों नहीं पड़ा खास असर?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने Airtel और Tata Teleservices की याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं, लेकिन इन दोनों कंपनियों की वित्तीय स्थिति Vodafone Idea के मुकाबले कहीं बेहतर है। Airtel पहले ही अपने बकायों का बड़ा हिस्सा चुका चुकी है, जबकि टाटा टेलीसर्विसेज अब मुख्य रूप से टेलीकॉम बिजनेस से बाहर हो चुकी है।
क्या बंद हो जाएगी Vodafone Idea?
यह कहना जल्दबाजी होगा कि Vodafone Idea बंद हो जाएगी, लेकिन स्थिति गंभीर जरूर है। कंपनी ने कहा है कि उसे बैंकों से फंडिंग नहीं मिल पा रही क्योंकि एजीआर विवाद अब भी अधर में है। बैंकों ने स्पष्ट किया है कि जब तक कोर्ट में मामला लंबित रहेगा या बकाया पूरी तरह साफ नहीं होगा, तब तक वे नई फंडिंग नहीं देंगे।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो कंपनी के लिए चालू वित्त वर्ष के आगे संचालन जारी रखना मुश्किल हो सकता है।
निष्कर्ष: Supreme Court Vodafone Idea पर फैसला भविष्य तय करेगा
Supreme Court Vodafone Idea मामले में आए इस फैसले ने टेलीकॉम इंडस्ट्री के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकार ने कंपनियों को राहत देने की कोशिश की, वहीं कोर्ट ने कानून के अनुसार स्पष्ट निर्णय दिया। इस निर्णय से Vodafone Idea की राह और कठिन हो गई है।
अब देखना यह है कि सरकार आगे कोई नीतिगत फैसला लेकर कंपनी को बचाने की कोशिश करती है या फिर यह भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम विफलताओं में से एक बन जाती है