जम्मू-कश्मीर में हुए Pahalgam attack ने एक बार फिर घाटी की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरी चिंता खड़ी कर दी है। इस Pahalgam attack में तीन संदिग्ध आतंकियों की पहचान कर ली गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन आतंकियों के स्केच भी जारी कर दिए हैं, जो प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर तैयार किए गए हैं।
Pahalgam attack: कौन हैं तीनों आतंकी?
पुलिस के अनुसार, पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकियों की पहचान हो चुकी है। इनमें दो पाकिस्तानी नागरिक – हाशिम मूसा और अली भाई उर्फ तल्हा, और एक स्थानीय निवासी – आदिल हुसैन थोकर शामिल हैं। आदिल दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के गुर्रे गांव का रहने वाला है।
पहलगाम हमला और घुसपैठ का कनेक्शन
जांच में सामने आया है कि पिछले डेढ़ साल में इन दो पाकिस्तानी आतंकियों ने घुसपैठ कर घाटी में एंट्री ली थी, और आदिल ने उन्हें स्थानीय गाइड के रूप में सहायता दी थी। स्केच में इन तीनों के चेहरे स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।
कब और कैसे आए थे आतंकी?
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, हाशिम मूसा ने सितंबर 2023 में कश्मीर घाटी में प्रवेश किया था। वह बडगाम जिले में सक्रिय था, जो श्रीनगर के पास स्थित है। दूसरी ओर, अली भाई उर्फ तल्हा मूसा के बाद घाटी में आया और श्रीनगर के बाहरी इलाके दाचीगाम के जंगलों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लगा।
दाचीगाम का इलाका त्राल और Pahalgam attack से जुड़ता है, जिससे साफ जाहिर होता है कि इन आतंकियों ने वहां आने-जाने और छिपने के लिए इस क्षेत्र को चुना था।
Pahalgam attack: आदिल हुसैन की भूमिका
आदिल हुसैन थोकर 2018 में पाकिस्तान गया था और पिछले साल घाटी में वापस लौटा। पुलिस को शक है कि वह पाकिस्तानी आतंकियों का स्थानीय गाइड था। वह अच्छी तरह से प्रशिक्षित और युद्ध-प्रशिक्षित था, जो पहलगाम जैसे इलाकों में आतंकियों को छुपने और निकलने के रास्ते दिखा सकता था।
कैसे तैयार हुए स्केच?
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, Pahalgam attack जिस तरह से हुआ, उसमें आतंकी आम लोगों के बीच आए और उनके व्यवहार, वेशभूषा और भाषा के कारण कुछ लोग उन्हें पहचानने में सफल रहे। प्रत्यक्षदर्शियों को कुछ आतंकियों की तस्वीरें दिखाई गईं और उनकी मदद से ही स्केच बनाए गए।
क्या हमला प्लान के साथ हुआ था?
जांच में खुलासा हुआ है कि Pahalgam attack एक गहराई से सोची-समझी योजना के तहत अंजाम दिया गया। हमलावरों को सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया समय की स्पष्ट जानकारी थी। बैसरन जैसे इलाके, जहां ये हमला हुआ, वहां पहुंचने के लिए केवल पैदल रास्ता है। ऐसे में हमलावरों को पता था कि सुरक्षा बलों को लामबंद होने और वहां पहुंचने में समय लगेगा, जिससे उन्हें फरार होने का मौका मिल जाएगा।
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पुलिस को शक है कि Pahalgam attack में चौथा आतंकी भी शामिल था। हालांकि उसकी पहचान अभी नहीं हो सकी है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि वह आतंकी स्थानीय है या विदेशी।
प्रत्यक्षदर्शियों के चौंकाने वाले बयान
केंद्रीय एजेंसियों ने 42 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए हैं। उनमें से कई ने बताया कि हमलावरों ने कुछ लोगों को उनके उच्चारण या धर्म के आधार पर नहीं मारा। एक स्थानीय फोटोग्राफर ने बताया कि वह एक पेड़ पर चढ़कर दो घंटे तक छिपा रहा जब तक कि हमलावर वहां से चले नहीं गए।
कहां भागे आतंकी?
पुलिस और सेना को आशंका है कि हमलावर पीर पंजाल रेंज के ऊंचे इलाकों की ओर भागे हैं। वहां सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस शामिल हैं।
एनआईए ने लिया घटनास्थल का जायजा
पहलगाम हमले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम ने भी घटनास्थल का दौरा किया है। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की और संभावित सबूत जुटाए। संभावना है कि एनआईए आने वाले दिनों में इस मामले की जांच अपने हाथ में ले सकती है।
निष्कर्ष: पहलगाम हमला चेतावनी है – खतरा अभी टला नहीं
Pahalgam attack एक बार फिर यह दिखाता है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद घाटी में अब भी जिंदा है और लगातार नए तौर-तरीकों से सुरक्षा को चुनौती दे रहा है। इसमें स्थानीय सहयोगियों की भूमिका भी उतनी ही चिंताजनक है। अब समय है कि सुरक्षा एजेंसियां और सतर्क हों और घाटी में हर संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी नजर रखें।