भारत हर साल 26 जनवरी को अपना गणतंत्र दिवस मनाता है, और इस दिन कर्त्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर एक भव्य परेड का आयोजन होता है। 2025 में देश अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। यह दिन भारतीय संविधान को अपनाने की ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है, जिसने भारत को गणतंत्र घोषित किया। इस परेड में देश की वीरता, संस्कृति, और विकास की झलक देखने को मिलती है।
गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन की तैयारियां एक साल पहले जुलाई में शुरू हो जाती हैं, और इसमें भाग लेने वाले सैनिकों और कलाकारों को 600 घंटे से ज्यादा की प्रेक्टिस करनी होती है। इस साल के गणतंत्र दिवस परेड का विषय ‘स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास’ है, और यह परेड सुबह साढ़े 10 बजे कर्त्तव्य पथ पर शुरू होगी। परेड राष्ट्रपति भवन से होते हुए इंडिया गेट तक जाएगी, और इसके मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो होंगे।
परेड पर होने वाला खर्च और टिकट से कमाई
गणतंत्र दिवस परेड पर होने वाले खर्च का आंकड़ा हर साल अलग होता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय के समारोह प्रभाग को करोड़ों रुपये अलॉट किए हैं। उदाहरण के लिए, 2021-22 में इस उद्देश्य के लिए 1 करोड़ 32 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया था। हालांकि, इस आयोजन पर कुल खर्च का आधिकारिक आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है।
परेड के दौरान टिकटों की बिक्री से भी अच्छा खासा राजस्व आता है। टिकटों की बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जाती है, और इसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा सरकार को मिलता है। 1999 में, गणतंत्र दिवस परेड के टिकट बिक्री से ₹10 लाख 45 हजार 720 की कमाई हुई थी, जो 2008 में बढ़कर ₹17 लाख 63 हजार 021 हो गई। वहीं, 2018-2020 के बीच औसतन ₹34 लाख की कमाई टिकटों से हुई है।
इस परेड के आयोजन और संबंधित गतिविधियों पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन सरकार की ओर से टिकट बिक्री के माध्यम से एक अच्छी खासी आय भी होती है।