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Chhath Puja 2025: Date, History, Significance and Rituals in Hindi

Chhat Puja

Chhath Puja क्या है?

छठ पूजा (Chhath Puja) भारत का एक प्राचीन, पवित्र और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया (उषा देवी) को समर्पित होता है। यह पर्व मानव और प्रकृति के बीच संतुलन, शुद्धता, और आस्था का सुंदर प्रतीक माना जाता है।

मुख्य रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, लेकिन आज के समय में यह देश-विदेश में रहने वाले भारतीय समुदायों के बीच भी उतनी ही आस्था के साथ मनाया जा रहा है।

छठ पूजा में भक्तगण सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, क्योंकि सूर्य को जीवन, ऊर्जा और समृद्धि का स्रोत माना जाता है। इस पूजा में सूर्य की किरणों से शरीर और मन दोनों को शक्ति और शुद्धता प्राप्त होती है।

यह त्योहार चार दिनों तक चलता है — जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, और उषा अर्घ्य जैसे चरण शामिल होते हैं। इन चारों दिनों में व्रती शुद्धता, उपवास, और कठोर अनुशासन का पालन करते हैं।

छठ पूजा को “सूर्य षष्ठी व्रत” भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह वह समय होता है जब मौसम में बदलाव आता है और प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में होती है। इस समय सूर्य की पूजा का वैज्ञानिक महत्व भी है — यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और मन को संतुलित करती है।

छठ पूजा 2025 की तारीख (Chhath Puja 2025 Date)

Chhath Puja 2025 Date: 27 अक्टूबर 2025 से 30 अक्टूबर 2025 तक मनाई जाएगी।
यह पवित्र पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन की अपनी विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता होती है। छठ पूजा का हर चरण जीवन में शुद्धता, तपस्या और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

नीचे देखें Chhath Puja 2025 का पूरा शेड्यूल (Full Schedule):

नहाय-खाय (Nahay Khay) — 27 अक्टूबर 2025

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन बनाते हैं और पूजा का संकल्प लेते हैं। यह दिन शरीर और मन की पवित्रता का प्रतीक है।

खरना (Kharna) — 28 अक्टूबर 2025

दूसरे दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर पूजा करते हैं। इसके बाद व्रती अगले 36 घंटे तक बिना पानी के व्रत रखते हैं।

पहला अर्घ्य (Sandhya Arghya) — 29 अक्टूबर 2025

तीसरे दिन सूर्यास्त के समय व्रती नदी या तालाब के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस समय घाटों पर भक्ति गीतों की गूंज और दीपों की रोशनी अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है।

दूसरा अर्घ्य और व्रत समापन (Usha Arghya) — 30 अक्टूबर 2025

चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे पवित्र क्षण होता है। अर्घ्य के बाद व्रत का समापन किया जाता है और व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा का इतिहास (History of Chhath Puja)

छठ पूजा का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है और इसे भारत के सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। कहा जाता है कि कुंतीपुत्र कर्ण, जो सूर्य देव के पुत्र थे, प्रतिदिन श्रद्धा और समर्पण के साथ सूर्य की उपासना करते थे — यही परंपरा आगे चलकर छठ पर्व के रूप में विकसित हुई।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, द्रौपदी और पांडवों ने भी छठ पूजा का आयोजन किया था ताकि वे अपने राज्य और सुख-समृद्धि को पुनः प्राप्त कर सकें।

यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। छठ पूजा सूर्य ऊर्जा, जल, वायु और मानव शरीर के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रतीक है। सूर्य की उपासना से शरीर में ऊर्जा, सकारात्मकता और स्वास्थ्य का संचार होता है, जो जीवन के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखता है।

छठ पूजा का महत्व (Significance of Chhath Puja)

छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पवित्र और वैज्ञानिक पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया की उपासना को समर्पित है। सूर्य को जीवन का आधार, ऊर्जा का स्रोत और स्वास्थ्य का रक्षक माना जाता है। यही कारण है कि छठ पर्व को शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने वाला आध्यात्मिक साधना पर्व कहा गया है।

इस व्रत के माध्यम से भक्त सूर्य देव से ऊर्जा, दीर्घायु, समृद्धि, और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं। व्रती (जो यह व्रत रखते हैं) अत्यंत कठोर नियमों का पालन करते हैं — जैसे पूर्ण उपवास रखना, जल और अन्न का त्याग करना, पवित्रता बनाए रखना और मानसिक शांति व एकाग्रता को साधना।

छठ पूजा का वास्तविक महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों में नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने में निहित है। यह पर्व हमें सूर्य, जल, वायु और धरती जैसे प्राकृतिक तत्वों के प्रति आभार प्रकट करने की प्रेरणा देता है, जो हमारे जीवन का मूल आधार हैं।

छठ पूजा की चार दिवसीय विधि (Chhath Puja Rituals Step-by-Step)

Chhath-puja-prasad

1. नहाय-खाय (Nahay-Khay)

इस दिन व्रती स्नान कर पवित्रता के साथ घर और रसोई की सफाई करते हैं।
खाना केवल मिट्टी के चूल्हे पर और शुद्ध गंगाजल से बनाया जाता है।
इस दिन अरवा चावल, लौकी की सब्जी और चने की दाल का सेवन किया जाता है।

2. खरना (Kharna)

दूसरे दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद प्रसाद बनाते हैं।
इस प्रसाद में गुड़ और चावल की खीर, रोटी और केले का उपयोग किया जाता है। रात को खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं।

3. संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)

तीसरे दिन सूर्यास्त के समय व्रती और परिवारजन नदी, तालाब या घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
इस समय पूरा वातावरण भक्ति गीतों से गूंज उठता है।
महिलाएं पारंपरिक वस्त्र (साड़ी) पहनती हैं और पूजा के लिए सूप, नारियल, फल, और दीपक सजाती हैं।

 4. उषा अर्घ्य (Usha Arghya)

अंतिम दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
इसके बाद व्रती अपना व्रत समाप्त करते हैं और प्रसाद का वितरण किया जाता है।
इस समय परिवारजन, रिश्तेदार और मित्र एकत्र होकर व्रत का समापन करते हैं।

छठ पूजा की तैयारी (Chhath Puja Preparation)

छठ पूजा की तैयारी श्रद्धा, स्वच्छता और अनुशासन का सुंदर उदाहरण है। यह पर्व शुरू होने से कई दिन पहले ही घर-आंगन, गलियों और घाटों की सफाई और सजावट का कार्य आरंभ हो जाता है। भक्त अपने घरों को पवित्र करते हैं और सूर्य देव की पूजा के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं की विधिवत तैयारी करते हैं।

पूजा की तैयारी में सबसे पहले नदी या तालाब के घाटों की मरम्मत और सजावट की जाती है, क्योंकि वहीं पर व्रती सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके साथ ही घरों में पवित्रता बनाए रखते हुए पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएँ खरीदी जाती हैं।

छठ पूजा की मुख्य सामग्री:

  • बाँस की टोकरी या सूप – पूजा की थाली के रूप में उपयोग होती है, जिसमें फल और प्रसाद रखा जाता है।
  • नारियल – शुद्धता और समर्पण का प्रतीक।
  • गन्ना – इस पर्व में गन्ने की जोड़ी का विशेष महत्व होता है।
  • फल और मिठाईयाँ – जैसे केला, सेब, अमरूद, और घर में बनी मिठाईयाँ।
  • दीपक और धूप – आरती और पूजा के दौरान सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए।
  • ठेकुआ (Traditional Chhath Sweet) – छठ पूजा का प्रमुख प्रसाद, जो गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है।
  • गंगाजल – पूजा में पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक जल।

छठ पूजा की तैयारी में सादगी और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। हर वस्तु शुद्ध और प्राकृतिक होनी चाहिए, क्योंकि यह पर्व मन, शरीर और आत्मा की शुद्धता का प्रतीक है।

 

छठ पूजा के भजन और गीत (Chhath Puja Songs)

छठ पूजा में भक्ति गीत और भजन का अत्यंत महत्व है। ये गीत न केवल सूर्य देव और छठी मैया की आराधना में सहायक होते हैं, बल्कि परिवार और समाज में प्रेम, सहयोग और आध्यात्मिक ऊर्जा भी उत्पन्न करते हैं।

छठ गीतों में भक्ति, श्रद्धा और प्राकृतिक तत्वों की महिमा को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इन गीतों के माध्यम से व्रती अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं और सूर्य देव से स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।

लोकप्रिय छठ गीत:

  • “केलवा जे फरेला घवद से ओ पिया” – यह गीत पारिवारिक प्रेम और सूर्य की उपासना का प्रतीक है।
  • “उगी हे सूरज देव” – सूर्य देव के उगते ही उनके जीवनदायिनी प्रकाश का गुणगान करता है।
  • “छठी मइया के गीत गावे” – छठी मैया की आराधना और व्रतियों की भक्ति को दर्शाता है।

ये भजन और गीत भक्तों के हृदय में भक्ति और श्रद्धा की अनुभूति को जागृत करते हैं। छठ पूजा के दौरान इन गीतों के मधुर स्वर वातावरण को पवित्र और मनोहर बना देते हैं, जिससे पूजा का अनुभव और भी गहन और आनंददायक हो जाता है।

छठ पूजा में महिलाएं और व्रती का योगदान (Role of Women and Vraties in Chhath Puja)

Chhat Puja 2025

छठ पूजा में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। व्रती महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए कठोर तप करती हैं। वे केवल पूजा की विधियों का पालन नहीं करतीं, बल्कि घर की पवित्रता बनाए रखने और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने में भी अहम योगदान देती हैं। उनके समर्पण और अनुशासन से ही यह पर्व अपने पूर्ण रूप में सम्पन्न होता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से छठ पूजा (Scientific Importance of Chhath Puja)

छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना का वैज्ञानिक महत्व भी है। सूर्य की सीधी किरणों से शरीर को विटामिन D प्राप्त होता है, जो हड्डियों और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है।
सूर्य को जल अर्पित करने से मानसिक शांति, तनाव में कमी और शरीर की ऊर्जा में वृद्धि होती है।
इसके अलावा, यह पूजा मौसम परिवर्तन के समय की जाती है, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

छठ पूजा का सामाजिक महत्व (Social Importance of Chhath Puja)

छठ पूजा सामूहिक एकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान लोग मिलकर घाटों की सफाई करते हैं, एक-दूसरे की मदद करते हैं और पूजा को सफल बनाते हैं।
इसमें धर्म, जाति या सामाजिक वर्ग का कोई भेदभाव नहीं होता — सभी लोग एक साथ आकर इस उत्सव में भाग लेते हैं। यही वजह है कि छठ पूजा समाज में समानता, सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा देती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाला पर्व है।
यह हमें सिखाता है कि प्रकृति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारे जीवन का आवश्यक भाग है।
हर वर्ष इस पर्व के साथ लोगों की श्रद्धा और भक्ति और अधिक गहराई तक पहुँचती है।

FAQs About Chhath Puja 

  1. Chhath Puja क्यों मनाई जाती है?

    Chhath Puja सूर्य देव (Sun God) और छठी मैया (Chhathi Maiya) की उपासना के लिए मनाई जाती है। यह स्वास्थ्य (Health), समृद्धि (Prosperity), और परिवार की भलाई (Family Well-being) के लिए महत्वपूर्ण है। व्रती (Devotees) fast रखते हैं और सूर्य को Arghya अर्पित करते हैं।

  2. Chhath Puja कितने दिन की होती है?

    Chhath Puja four-day festival है: Nahay-Khay, Kharna, Sandhya Arghya, Usha Arghya। हर दिन का अपना धार्मिक (Religious) और आध्यात्मिक (Spiritual) महत्व है।

  3. Chhath Puja में क्या खाया जाता है?

    व्रती (Devotees) sattvic food खाते हैं। मुख्य प्रसाद में शामिल हैं: Thekua, Rice Kheer, Chana Dal, Jaggery sweets

  4. Chhath Puja में सूर्य को Arghya क्यों दिया जाता है?

    सूर्य देव (Sun God) जीवन (Life) और ऊर्जा (Energy) के प्रतीक हैं। Arghya देने से मानसिक शांति (Mental Peace) और प्राकृतिक ऊर्जा (Natural Energy) मिलती है।

  5. Chhath Puja कहाँ प्रसिद्ध है?

    Chhath Puja सबसे अधिक मनाई जाती है: Bihar, Jharkhand, Eastern Uttar Pradesh, Nepal। अब यह भारत के अन्य राज्यों और विदेशों (Abroad) में भी मनाई जाने लगी है।