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Eid-ul-Adha 2025: जानें हज 2025 की तारीख, मक्का की यात्रा का इतिहास, महत्व और खास इस्लामिक रीति-रिवाज़!

ईद-उल-अधा 2025 (eid-ul-adha 2025) इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 10वीं ज़िल-हिज्जा को मनाई जाती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में अनुमानतः 6 जून 2025 (शुक्रवार) को पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से हज के बाद आता है, जब दुनिया भर के मुसलमान मक्का में हज की रुक्नें पूरी कर चुके होते हैं।

ईद-उल-अधा को ‘कुर्बानी की ईद’ भी कहा जाता है, जो पैगंबर इब्राहीम की अल्लाह के प्रति निष्ठा की याद दिलाता है। इस दिन दुनिया भर के मुसलमान बकरे, ऊँट या भेड़ की कुर्बानी देते हैं और गरीबों के साथ उसका मांस साझा करते हैं। भारत में Eid al adha hajj in India को बड़े ही धार्मिक भाव से मनाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, दिल्ली और कश्मीर जैसे राज्यों में।

यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक समरसता और मानवता का भी संदेश देता है। ईद-उल-अधा 2025 में भी करोड़ों मुस्लिम इस्लामिक परंपराओं का पालन करते हुए इस त्योहार को श्रद्धा और उल्लास से मनाएंगे।

हज 2025 कब है? मक्का की पवित्र यात्रा की तिथि

हज 2025 (eid al-adha hajj) की शुरुआत इस्लामिक कैलेंडर की 8वीं ज़िल-हिज्जा से होगी, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में 3 जून 2025 से शुरू होकर 7 जून 2025 तक चलेगी। हज इस्लाम का पांचवां स्तंभ है और हर सक्षम मुस्लिम पर जीवन में कम से कम एक बार इसे करना अनिवार्य है।

हर साल लाखों मुस्लिम हाजियों की भीड़ मक्का, सऊदी अरब में एकत्र होती है। हज यात्रा में कई पवित्र स्थलों का दर्शन होता है, जैसे कि मिना, अराफात, मुज़दलिफ़ा और काबा शरीफ। यह यात्रा केवल आध्यात्मिक अनुभव नहीं होती, बल्कि एक प्रकार की सामाजिक और मानसिक शुद्धि भी होती है।

Eid al adha hajj in India की बात करें तो भारत से हजारों हाजी हर साल हज के लिए पंजीकरण कराते हैं। भारत सरकार हज कमेटी के माध्यम से इसका संचालन करती है। हज 2025 में भी भारत से हाजियों की बड़ी संख्या मक्का जाएगी, जिसमें उनके स्वास्थ्य, रहने और खाने की समुचित व्यवस्था की जाएगी।

हज यात्रा की समाप्ति पर ही Eid-ul-Adha 2025 मनाई जाती है, जिससे इन दोनों का गहरा संबंध स्पष्ट होता है।

काबा और मक्का का इस्लाम में महत्व

Eid-ul-Adha 2025 hajj

इस्लाम धर्म में काबा को धरती पर सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। मक्का में स्थित काबा शरीफ ही वह दिशा (क़िबला) है, जिसकी ओर मुसलमान दुनिया के किसी भी कोने में नमाज पढ़ते हैं। मक्का की यात्रा, यानी हज, इसी काबा के दर्शन के लिए की जाती है।

कहा जाता है कि काबा का निर्माण हज़रत इब्राहीम और उनके बेटे इस्माईल ने किया था। यह स्थल न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है बल्कि मुसलमानों की एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। eid al-adha hajj के दौरान जब हाजी काबा की परिक्रमा (तवाफ) करते हैं, तो वह एक विशेष आध्यात्मिक बंधन में बंध जाते हैं।

Eid-ul-Adha 2025 के समय मक्का की तस्वीरें सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर वायरल होती हैं, जो हर मुस्लिम के दिल में वहां पहुंचने की तड़प पैदा करती हैं। यह पर्व सिर्फ कुर्बानी का नहीं बल्कि त्याग, सेवा और भक्ति का उत्सव है।

भारत के लाखों मुसलमान इस दिन मक्का की ओर रुख करते हैं या दिल से वहां की कल्पना करके हज की भावना में रम जाते हैं, जिससे Eid al adha hajj in India का महत्व और भी गहरा हो जाता है।

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ईद-उल-अधा की परंपराएं और रीति-रिवाज़

Eid-ul-Adha 2025 के अवसर पर जो सबसे प्रमुख परंपरा है, वह है कुर्बानी। यह उस घटना की याद है जब हज़रत इब्राहीम ने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे को कुर्बान करने को तैयार हो गए थे। अल्लाह ने उनकी परीक्षा में उन्हें पास किया और एक मेमना भेजकर उनके बेटे को बचा लिया।

इस घटना को स्मरण करते हुए, मुस्लिम समाज बकरा, ऊँट या भेड़ की कुर्बानी देता है। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक गरीबों के लिए, एक रिश्तेदारों के लिए और एक अपने परिवार के लिए। यह परंपरा आपसी सहयोग, त्याग और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देती है।

इसके अलावा, ईद की नमाज़, नए कपड़े पहनना, मिठाइयों का आदान-प्रदान, और एक-दूसरे को गले लगाकर “ईद मुबारक” कहना भी इस दिन की मुख्य परंपराएं हैं। भारत में Eid al adha hajj in India के मौके पर खासतौर पर बिरयानी, सेवईं और कबाब बनाए जाते हैं।

यह सभी रीति-रिवाज़ इस पर्व को एक संपूर्ण आध्यात्मिक और सामाजिक उत्सव बनाते हैं जो हर साल नए उत्साह से मनाया जाता है।

क्या ईद अल-अधा हज से संबंधित है?

यह सवाल कई बार सामने आता है कि क्या ईद अल-अधा हज से संबंधित है? और इसका उत्तर है – हाँ, बिल्कुल। Eid-ul-Adha और eid al-adha hajj दोनों का आपस में गहरा संबंध है। हज के अंतिम दिन, जब हाजियों की सबसे बड़ी धार्मिक प्रक्रिया अराफात में पूरी होती है, उसी दिन के अगले दिन ईद-उल-अधा मनाई जाती है।

हज की प्रक्रिया में कुर्बानी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस्लाम में कुर्बानी केवल पशु बलिदान नहीं बल्कि अपनी इच्छाओं, अहम और स्वार्थ की कुर्बानी का प्रतीक भी है। यही भावना Eid-ul-Adha 2025 के दौरान हर मुस्लिम के दिल में होती है – खुदा के लिए खुद को समर्पित करना।

भारत में जहां लोग हज पर नहीं जा पाते, वे Eid al adha hajj in India के रूप में इस पर्व को उसी श्रद्धा और निष्ठा से मनाते हैं। वे न केवल कुर्बानी की परंपरा निभाते हैं, बल्कि हज में होने वाले सभी भावनात्मक और आध्यात्मिक संदेशों को अपनाते हैं।

इस तरह, यह स्पष्ट होता है कि ईद अल-अधा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हज की प्रक्रिया की परिणति है जो हर मुसलमान को एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ती है।

भारत में ईद-अल-अधा और हज का उत्सव कैसे मनाया जाता है?

Eid al adha hajj in India एक व्यापक और विविध रूप में मनाया जाता है। भारत जैसे विशाल देश में जहां लाखों मुस्लिम रहते हैं, ईद-उल-अधा एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है। शहरों से लेकर गांवों तक, हर स्थान पर नमाज़, कुर्बानी और मिलन समारोहों की धूम रहती है।

हज के लिए भारत सरकार विशेष व्यवस्थाएं करती है। Haj Committee of India द्वारा चयनित लोग सालों पहले से योजना बनाते हैं। मक्का से लाइव हज की तस्वीरें भारत के टीवी चैनलों और यूट्यूब पर दिखाई जाती हैं, जिससे भारत के लोग भी उस अनुभव को महसूस कर सकें।

Eid-ul-Adha 2025 के समय भारत के बाज़ारों में रौनक होती है। लोग नए कपड़े, टोपी, इत्र और बकरा खरीदते हैं। मस्जिदों में विशेष नमाज़ का आयोजन होता है। इसके बाद कुर्बानी की प्रक्रिया होती है, और फिर सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ भोजन का आनंद लेते हैं।

इस प्रकार भारत में ईद और हज का उत्सव न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का पर्व बन जाता है। हर वर्ग, हर उम्र के लोग इसमें शामिल होकर भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

निष्कर्ष: Eid-ul-Adha 2025 – आस्था, त्याग और एकता का पर्व

Eid-ul-Adha 2025, eid al-adha hajj, और Eid al adha hajj in India – तीनों पहलू एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक ऐसा अध्यात्मिक और सामाजिक संदेश है जो इंसानियत, त्याग, और प्रेम का प्रतीक बन गया है।

भारत समेत पूरी दुनिया में यह पर्व शांति, सेवा और समर्पण का संदेश फैलाता है। ईद-उल-अधा हमें सिखाती है कि हम अपने स्वार्थ को छोड़कर दूसरों की मदद कैसे करें और अल्लाह के प्रति अपनी आस्था को कैसे दृढ़ रखें।

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